"ज़माने भर में तलाशा है जिस ख़ुदा को
तुझ में भी है उस ख़ुदा का अक्स
तू ख़ुद पे नज़र तो कर
तू ख़ुद पे नज़र तो कर
खानाबदोशों की तरहा भटकते रहे हैं
इक सुकून की तलाश में
इक सुकून की तलाश में
एक बार खुद में तलाश
और अपने दिल से जिक्र तो कर
और अपने दिल से जिक्र तो कर
क्यूं समेटा है खुद को इस कद्र दूसरों की उम्मीद में
तू खुद बदलेगा मुक़द्दर अपना
तू खुद की फ़िक्र तो कर
तू खुद की फ़िक्र तो कर
यूं ही तिलमिला रहे हो 'काफ़िर' जमाने की अपने ईमान से बेवफ़ाई को देखकर होना है हश्र सबका वही तू सब्र तो कर"
awesome and motivating..
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है!!!
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है!!!
ReplyDeleteWah ji wah
ReplyDeleteBhot khub👌
ReplyDeleteWah
ReplyDeleteLovely 👌
ReplyDeleteBahut hard bahut hard..
ReplyDeleteZabardast
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