ना घर का ठिकाना है ना दिल को बहलाना है, घर से ससुराल तक के सफर पर मुझे ही तो जाना है सब कहते हैं वो मेरा है वो तेरा है, पर अब तक ना जाना क्या मेरा है सब कुछ सहना है पर किसी से ना ये कहना है, सहते हुए सब कुछ बस मुझे बस इन सबमें ही तो बहना है.. ऐसा नहीं कि मुझे चुप ही रहना है, मुझे ये हक है के खुद का भी तो कहना है और ऐसा भी नहीं के मैं ग़मों में चूर हूँ, मै तो बस सबके प्यार में मजबूर हूँ बचपन से यही तो सीखा है, के सबकी ख़ुशी में खुद को खुश रखना हैं मै बेटी हूँ दोस्तों मुझे इन सब में ही तो रहना हैं... Na ghar ka thikana hai, Na Dil ko behlana hai Ghar se sasural tak ke safar par mujhe hi to jana hai Sab kehte hai wo mera hai wo tera hai, Par ab tak na jana kya mera hai Sab kuch sehna hai par kisi se na ye kehna hai, sehte hue sab kuch bas mujhe bas in sabme hi to behna hai.. Aisa nhi ki mujhe chup hi rehna hai, Mujhe ye hak hai ke khud ka bhi to kehna hai Or aisa bhi nhi ke mai gamo me choor hun, Mai to bas sabke pyar me yun majboor hun Bachpan se yahi to sikha hai Ke sabki khushi me khud
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