Skip to main content

बयां कैसे करू...


बयां सुख को तो कर सकते हैं 
पर दुख को कहाँ ले जाऊँ 
बयां ख़ुशी को तो कर सकते हैं 
पर उस ग़म को कैसे भुलाऊ
मैं रोज़ देखूँ उस राह को जो मुझे तुमसे मिलाएँ
पर रास्ता ही बंद हो तो पहुँचू कैसे ये समझ ना पाऊँ ..


Bayan Sukh ko to kar sakte hai 
par Dukh ko kahan le jau,
Bayan Khushi ko to kar sakte hai 
par us Gam ko kaise bhulau,
Mai roj dekhu us rah ko Jo mujhe tumse milaye
Par Rasta hi band ho to pahunchu kaise ye samajh na Pau..

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

जिंदगी का सबक..

भावनाओं के दलदल में हम कुछ ऐसे फसे कि कहा भी ना गया और सहा भी ना गया, रिश्तों की हथकड़ी में कुछ इस कदर जकड़े कि जोड़ा भी ना गया और तोड़ा भी ना गया, फिर हम थोड़ा सम्भले ही थे कि अचानक  हक़ीकत के तूफानों में ऐसे अटके कि समझा भी ना गया और समझाया भी ना गया, दिल को मुश्किल से समझा ही रहे थे कि  जज़्बातों ने आकर इस कदर घेरा कि हँसा भी ना गया और रोया भी ना गया, और इन्ही उधेड़बुन में दोस्तों  जिंदगी सबक सीखा गयी के जीना इसी का नाम है..   

मैंने ये सब ही तो सीखा है..

ना घर का ठिकाना है ना दिल को बहलाना है, घर से ससुराल तक के सफर पर मुझे ही तो जाना है सब कहते हैं वो मेरा है वो तेरा है, पर अब तक ना जाना क्या मेरा है सब कुछ सहना है पर किसी से ना ये कहना है, सहते हुए सब कुछ बस मुझे बस इन सबमें ही तो बहना है.. ऐसा नहीं कि मुझे चुप ही रहना है, मुझे ये हक है के खुद का भी तो कहना है और ऐसा भी नहीं के मैं ग़मों में चूर हूँ, मै तो बस सबके प्यार में मजबूर हूँ बचपन से यही तो सीखा है, के सबकी ख़ुशी में खुद को खुश रखना हैं मै बेटी हूँ दोस्तों मुझे इन सब में ही तो रहना हैं... Na ghar ka thikana hai, Na Dil ko behlana hai  Ghar se sasural tak ke safar par mujhe hi to jana hai Sab kehte hai wo mera hai wo tera hai, Par ab tak na jana kya mera hai Sab kuch sehna hai par kisi se na ye kehna hai, sehte hue sab kuch bas mujhe bas in sabme hi to behna hai.. Aisa nhi ki mujhe chup hi rehna hai, Mujhe ye hak hai ke khud ka bhi to kehna hai Or aisa bhi nhi ke mai gamo me choor hun, Mai to bas sabke pyar me yun majboor hun Bachpan se yahi to sikha hai Ke sabki khushi me khud

खुद को आजमा के तो देखो....

"ख्यालों की दुनिया को सच बना के तो देखो खोलो अपने पंख इन्हें जरा फैला के तो देखो बहुत आजमाया है हाथों की लकीरों को यारों अब जरा खुद को आजमा के तो देखो"