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Showing posts from July, 2020

एक नई उड़ान......

"तमाम दुनिया में ढूंडा जिस ख़ुशी को चलो आज उसे अपने अंदर तलाश करतें हैं गहरे सन्नाटों में चलो यारों खुद को ढूंढ़ते हैं और खुद से बात करते हैं चलो अपने ख़्वाबों को नाकामियों का जो डर है उसकी गिरप्त से आज़ाद करते हैं उठो संभलो चलो यारों फिर से एक नई उड़ान भरतें हैं"

तेरे मेरे दरम्यान....

"हज़ारों हैं ख्वाहिशें मेरी फिर भी रह रह बस तेरा ही ख़्याल आया है, कुछ तो है तेरे मेरे दरम्यान जो ये वक़्त मुझे तेरे शहर लाया है"

हाँ, मुझमें हिम्मत है..

हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की जमाने भर के लोग खुद को छुपा कर घूमते है धोखाधड़ी से दुसरो को लूटते हैं और फिर सोचते है के हम ऐसे नहीं हमने जो किया वो वैसा नही पर ऐसे लोगो में खुद खो जाऊ ऐसी हसरत नहीं हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की चाहत है आसमां को छू जाने की मन्नत है अपने क्षितिज को पाने की ना ग़ुरूर है मुझमे किसी चीज़ का जानती हूँ दुनिया की असलियत, ना हो जाऊ गुम उस भीड़ मे हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को ढूंढ पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की किसी को हरा कर जीत जाऊं ये मेरी फितरत नहीं ख़ुशी को बाँट के खुश हो जाऊँ ये मेरी आदत है.. हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की...

तू सब्र तो कर

"ज़माने भर में तलाशा है जिस ख़ुदा को तुझ में भी है उस ख़ुदा का अक्स तू ख़ुद पे नज़र तो कर खानाबदोशों की तरहा भटकते रहे हैं इक सुकून की तलाश में एक बार खुद में तलाश और अपने दिल से जिक्र तो कर क्यूं समेटा है खुद को इस कद्र दूसरों की उम्मीद में तू खुद बदलेगा मुक़द्दर अपना तू खुद की फ़िक्र तो कर यूं ही तिलमिला रहे हो 'काफ़िर' जमाने की अपने ईमान से बेवफ़ाई को देखकर होना है हश्र सबका वही तू सब्र तो कर"

हौंसलो से

"हौंसलो से क़िस्मत पे जमी धूल को उड़ाया है मैंने मुश्किलों से लड़ लड़ कर  खुद को बनाया है मैंने मुफ़लिसी के अँधेरे क्या ख़ाक डराएंगे मुझे हवाओं का जो रुख मोड़ दें ऐसे चिरागों से अपनी जिंदगी को सजाया है मैंने"
मेरी इस दौड़ धुप वाली जिंदगी को  एक बार फिर ले गयी मेरे बचपन में तेरी यें बेफ़िक्रियां , तेरी यें शैतानियां ना रहा अब चैन ना रहा वो सुकून बस रह गई अब जिंदगी में परेशानियाँ ही परेशानियाँ  कहाँ गई अब वो कहानियाँ जिसे सुनाती थी दादी और नानिया अब तो कभी कभी धड़कने भी रुक जाती है  सुनके मेरी कहानियां  बस अब तो सोचती हूँ कब ढलेगी ये शाम और रोशन होगी सुबह मेरी ऐ मेरी जिंदगी.... ऐ मेरी जिंदगी एक बार फिर ले चल तू मेरे बचपन में  जहाँ होगी वही बेफ़िक्रियां और वही शैतानियां

दिल ने कहा..

"कैफियत ना पूछी तुमने क़द्र ना की जज़्बातों की पल पल मरते रहे तेरे इश्क़ में उम्र बीत गयी अरमानो की वक़्त ढलता रहा हम रुके रहे मुड़ कर फिर भी ना देखा एक बार भी सोचा हमने भी के अनदेखा कर देते है तुमको पर जब जब चेहरा नजर आया तुम्हारा दिल ने कहा ये खता एक बार और सही"

काफिर हु यारों

"दे इजाजत जिसकी ज़मीर मेरा, अंजाम से बेफिक्र वही काम करता हूँ दिल पाक है मेरा,  जो करता हूँ खुलेआम करता हूँ खुदा को मानने वाले, जाने कैसे खंजरों से वार करते हैं काफिर हूँ यारो मुहब्बत से कत्लेआम करता हूँ"

अश्क़-ऐ-निग़ाहों

"तेरे अश्क़-ऐ-निगाहों में इस कदर घर कर जाऊंगा के जब जब ये बहेंगे कसम से बहुत याद आऊंगा"

Maa

"तेरे सज़दे में सर झुका है मेरा  तू नहीं तो मैं कुछ भी नहीं माँ  हक़ समझता हूँ तुम पर अपना  इसलिए कुछ भी कह जाता हूँ माँ  जरुरी नहीं के जता कर दिखाऊं प्यार अपना  समझ जाओगी तुम इसलिए छुपाता हूँ माँ "

तेरी दिल्लगी

"तेरी दिल्लगी ओर जुस्तजू में हम  कुछ इस तरहा शामिल रहे, के ना तो कम्भख्त तेरे हुए ना किसी ओर के काबिल रहे"

Kal or aaj

Ittifaq tha wo bhi Ke jindgi hai ye bhi, Mashoor the kabhi hum Aaj kaid me kahin hum Sab jante the tab bhi Kuch jante h ab bhi. Fasana tha wo jindgi ka, Haqiqat bachi hai ye bhi Ujale ki talash me laga hua hu ab bhi Bta de e khuda tu Kya sach hai kya dhokha Manu kya sach mai tera Tu hai bhi ya nahi hai Ek aas si jaga de Apne dil ko tu pighla de Kar reham mere e rab tu Is jameen pe rehmat barsa de....🙏

Ehsaas jindgi ka..

Na has kar jiye na ro kar jiye Jiye bhi to hum mar mar ke jiye Ehasaas hua abhi waqt ka subah se kab sham hui, Sham ne kaha, mai dhalne wali hu jee sake to jee le kuch pal mere sath hi Maine kaha jo dhal jaye wo mera nhi jo mai bhul gya wo ye pal tha Ab is pal ko hi apna banana hai Mujhe ab hasna or hasana hai, Mai hi Raja hu is waqt ka ye ehsaas mujhe khud ko dilana hai..