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मेरा नसीब मेरी मुस्कुराहट..

मत पूछ ऐ बन्दे मेरी किस्मत में क्या है मत पूछ के मेरे नसीब में क्या हैं, हम वो हैं जो ना लकीरों पर और ना नतीजे की फिक्र किया करते हैं हम वो हैं जो अपना नसीब खुद चुन-चुन कर बटोर लिया करते हैं, और अगर कुछ भी ना मिले तो उस खालीपन को अपनी मुस्कुराहट से भर लिया करते हैं... Mat puch aye bande meri kismat me kya hai, Mat puch ke mere naseeb me kya hai, Hum wo hai jo na lakeeron par aur na nateeje ki fikar  Kiya karte hai, Hum wo hai jo apna naseeb  khud chun chun kar bator liya karte hai, aur agar kuch bhi na mile to us khalipan ko apni muskuraahat se bhar liya karte hai...🙂

बयां कैसे करू...

बयां सुख को तो कर सकते हैं  पर दुख को कहाँ ले जाऊँ  बयां ख़ुशी को तो कर सकते हैं  पर उस ग़म को कैसे भुलाऊ मैं रोज़ देखूँ उस राह को जो मुझे तुमसे मिलाएँ पर रास्ता ही बंद हो तो पहुँचू कैसे ये समझ ना पाऊँ .. Bayan Sukh ko to kar sakte hai  par Dukh ko kahan le jau, Bayan Khushi ko to kar sakte hai  par us Gam ko kaise bhulau, Mai roj dekhu us rah ko Jo mujhe tumse milaye Par Rasta hi band ho to pahunchu kaise ye samajh na Pau..

ख़्वाब...

रोंध कर चले गए वो ख़्वाब इस क़दर के टूट कर बिखर गए और वो थे बेख़बर कर अँधेरा चल पड़े वो रोशनी लिए अपने घर ख़ाक को उठा के अब जाऊ तो जाऊ मैं किधर... Raundh kar chale gaye wo khwab es kadar Ke tut kar bikhar gaye aur wo the bekhabar Kar andhera chal pade wo roshni liy apne ghar Khaak ko utha ke ab jaun to jaun mai kidhar ..

रंग दुनिया के..

जब बदला खुद को तो लोगो ने कहा, तुम बदल क्यू गए ये वही लोग थे जो ता-उम्र कहते रहे के  तुम बदल जाओ जिंदगी ऐसे नहीं चलेगी जब हम ईमानदार थे तो लोग कहते थे, दुनिया ईमानदारी से नहीं चलती  जब ईमानदारी छोड़ी तो कहा, बेईमानी की जिंदगी ज्यादा नहीं चलती जब सब से प्यार किया तो सबने दिखावे का नाम दिया और जब दिखावा किया तो प्यार का नाम दिया समझ ना आया जिंदगी और लोगो के रंग ऐसे ही हम खुद के अस्तित्व को मिटाते चले गए...

आरज़ू

सुकून मिलता है बहुत तुम्हारे पास आकर  यहाँ मेरे पास आ जाओ ना माँ, काफी दर्द भरे हैं अंदर इन्हें मिटाओ ना माँ भगवान को ढूँढ रही थी कब से  भूल गई थी के वो तो कब से मेरे पास है, आज गोद में अपनी पहले की तरह फिर से सुलाओ ना माँ सब रिश्ते नाते झूठे लगते है एक तुम ही तो हो जो अपनी सी लगती हो माँ, आज माँ बन चुकी हूँ पर फिर भी  छोटी सी बनाकर मुझे फिर से लोरी सुनाओ ना माँ... 🙏

फितरत ए वफ़ा..

मेरे नसीब मे शायद तेरी चाहत नहीं  मुझे तुझसे कोई शिकवा या शिकायत नहीं, मैंने देखा है लोगो को मौसम की तरह बदलते हुए अगर तू भी बदल जाए तो इसमें कोई हैरत नहीं, और मै तुझे भूल जाऊ मेरी ऐसी कोई हसरत नहीं.. 

काफ़िर.…...

     "फिरा मंदिर मस्जिद औऱ गुरुद्वारों में पर बेचैन रहा            जब से काफ़िर हुआ हूं थोड़ा आराम में हूँ"

जिंदगी का सबक..

भावनाओं के दलदल में हम कुछ ऐसे फसे कि कहा भी ना गया और सहा भी ना गया, रिश्तों की हथकड़ी में कुछ इस कदर जकड़े कि जोड़ा भी ना गया और तोड़ा भी ना गया, फिर हम थोड़ा सम्भले ही थे कि अचानक  हक़ीकत के तूफानों में ऐसे अटके कि समझा भी ना गया और समझाया भी ना गया, दिल को मुश्किल से समझा ही रहे थे कि  जज़्बातों ने आकर इस कदर घेरा कि हँसा भी ना गया और रोया भी ना गया, और इन्ही उधेड़बुन में दोस्तों  जिंदगी सबक सीखा गयी के जीना इसी का नाम है..   

खुद को आजमा के तो देखो....

"ख्यालों की दुनिया को सच बना के तो देखो खोलो अपने पंख इन्हें जरा फैला के तो देखो बहुत आजमाया है हाथों की लकीरों को यारों अब जरा खुद को आजमा के तो देखो"

मेरी अधूरी कोशिशें ..

  कोशिश करती हूँ सबको खुश रखने की जाने क्यों ये अधूरी रह जाती है, बुरा लगता है ये सोचकर क्यूँ जिंदगी मुझसे खफ़ा हो जाती है, कोशिश करती हूँ कुछ पल हसने की  नजाने क्यूँ खुशी मुझ पर हसकर चली जाती है,  कोशिश करती हूँ खुद में कमी ढूँढ़ने की  तो मेरी पहचान ही मुझसे रूठ जाती है, कोशिश कर के महसूस हुआ कि कोशिशें कोशिश ही रह जाती है...

मन की बात ..

  ये बात ना दिल की थी ना जुबान की थी ये बात ना अश्कों की थी ना मुस्कराहट की  जज़्बात थे बुझे हुए अरमान थे सोये हुए हम बैठे थे चुपचाप से  कदर ना थी वक़्त की वो जा रहा था बस यूँ ही जा रहा था खामोश मन अचानक से बोल उठा  अरे ओ पगले, चल एक कप चाय पी ले  फिर ये ड्रामा दोबारा करते है शायद फिर कोई नज़्म ही याद आ जाएँ...

एक नई उड़ान......

"तमाम दुनिया में ढूंडा जिस ख़ुशी को चलो आज उसे अपने अंदर तलाश करतें हैं गहरे सन्नाटों में चलो यारों खुद को ढूंढ़ते हैं और खुद से बात करते हैं चलो अपने ख़्वाबों को नाकामियों का जो डर है उसकी गिरप्त से आज़ाद करते हैं उठो संभलो चलो यारों फिर से एक नई उड़ान भरतें हैं"

तेरे मेरे दरम्यान....

"हज़ारों हैं ख्वाहिशें मेरी फिर भी रह रह बस तेरा ही ख़्याल आया है, कुछ तो है तेरे मेरे दरम्यान जो ये वक़्त मुझे तेरे शहर लाया है"

हाँ, मुझमें हिम्मत है..

हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की जमाने भर के लोग खुद को छुपा कर घूमते है धोखाधड़ी से दुसरो को लूटते हैं और फिर सोचते है के हम ऐसे नहीं हमने जो किया वो वैसा नही पर ऐसे लोगो में खुद खो जाऊ ऐसी हसरत नहीं हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की चाहत है आसमां को छू जाने की मन्नत है अपने क्षितिज को पाने की ना ग़ुरूर है मुझमे किसी चीज़ का जानती हूँ दुनिया की असलियत, ना हो जाऊ गुम उस भीड़ मे हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को ढूंढ पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की किसी को हरा कर जीत जाऊं ये मेरी फितरत नहीं ख़ुशी को बाँट के खुश हो जाऊँ ये मेरी आदत है.. हाँ मुझमें हिम्मत है खुद को पाने की कोई शोहरत नहीं है डूब जाने की...

तू सब्र तो कर

"ज़माने भर में तलाशा है जिस ख़ुदा को तुझ में भी है उस ख़ुदा का अक्स तू ख़ुद पे नज़र तो कर खानाबदोशों की तरहा भटकते रहे हैं इक सुकून की तलाश में एक बार खुद में तलाश और अपने दिल से जिक्र तो कर क्यूं समेटा है खुद को इस कद्र दूसरों की उम्मीद में तू खुद बदलेगा मुक़द्दर अपना तू खुद की फ़िक्र तो कर यूं ही तिलमिला रहे हो 'काफ़िर' जमाने की अपने ईमान से बेवफ़ाई को देखकर होना है हश्र सबका वही तू सब्र तो कर"